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Aalai ki Udaan

Aalai ki Udaan

आलई की उड़ान
Publisher: Eklavya
Author: Bharti Jagannathan / भारती जगन्नाथन
Translator: Manohar Notani / मनोहर नोतानी
Illustrator: Priti Krishnamurti / प्रीति कृष्णामूर्ति
ISBN: 978-93-85236-16-7
Binding: Paperback
Language: Hindi
Pages: 28
Published: 2016
Regular price ₹ 75.00
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आधी रात को अचानक जोरों की आवाज़े होने लगी । क्या आसमान गिरने वाला है? क्या धरती फट रही है ? आखिर आलई क्या कर रही है ?

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Simran uikey
अलाई तो उड़ चली

यह कहानी आलई के पेड़ की है। आलई का पेड़ बहुत बड़ा होता है।आलई के पेड़ में सभी पक्षी और छोटे जानवर का घोंसला और घर बना होता है।सुबह के समय सभी पक्षी और छोटे जानवर खाना ढूंढने बाहर चले जाते हैं। जब खाना मिल जाता है तब सभी पक्षी और जानवर रात को लौटकर आते हैं।तब सब साथ में बैठकर अपने बारे में बताते हैं, कि सभी पक्षी और छोटे जानवर कहां-कहां गए और आज के दिन उनका कैसा बीता सभी की बातें सुनते हुए आलई भी सोचती है।कि वह भी इन सब की तरह बाहर की दुनिया में घूमती लेकिन कैसे आलई तो एक पेड़ है।जो एक जगह पर होती है वह कैसे उड़ेगी और कैसे चलेगी उसके पास ना तो पंख है ना ही पैर
यह बात सोच कार आलाई और भी बहुत उदास हो जाती है कई दिनों तक वह सबको उदास दिखाई देती है। सभी पक्षी सोचते हैं की आलाई की मदद कैसे करें किसी को भी अच्छा नहीं लगता है। कि आलाई उदास रहे फिर अचानक आलई का दोस्त पवन आता है और आलाई से पूछता है।और फिर अलाई पवन को बताती है। पवन अलाई की बातें सुनकर एक फूंक मारता है और आलाई आसमान में उड़ने लग जाती है।