Bhasha Seekhne-Sikhane Ka Pariprekshya
Bhasha Seekhne-Sikhane Ka Pariprekshya
Publisher: Eklavya
Author: Rajni Dwivedi,Hriday Kant Diwan
ISBN: 978-93-48176-50-9
Binding: Paperback
Language: Hindi
Pages: 215
Published: July-2025
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भाषा के साथ इन्सान के सम्बन्ध, शिशुओं द्वारा परिवेश से भाषा अर्जन, भाषा और उसके संरचनात्मक पहलुओं के बारे में समझ बच्चों को औपचारिक रूप से भाषा सीखने में मदद करने के प्रयास से जुड़े हैं और उसे प्रभावित करते हैं। पिछले सात दशकों में बच्चों को भाषा सिखाने के तरीकों व भाषा सीखने की उनकी क्षमताओं के बारे में सोचने के ढंग में व्यापक परिवर्तन आए हैं। इस परिवर्तन की झलक भारत के स्कूली शिक्षा से सम्बन्धित राष्ट्रीय दस्तावेज़ों में भी साफ तौर पर दिखाई देती है।
यह संकलन इस परिवर्तन और इससे जुड़े विमर्श को सरल भाषा में उदाहरणों के साथ प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। साथ ही, यह कक्षा में भाषा शिक्षण से जुड़े विविध परिप्रेक्ष्यों को भी हमारे सामने लाता है। भाषा सीखने के बारे में प्रचलित समझ और नीतियों की विवेचना करते हुए संकलन यह दिखाता है कि नए परिप्रेक्ष्य को आधार बनाकर कक्षा में भाषा शिक्षण कैसे हो सकता है और उसके लिए शिक्षकों को किस तरह से तैयार किया जाना चाहिए। उम्मीद है कि इससे शिक्षकों व शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत अन्य लोगों को भाषा सीखने-सिखाने को लेकर अपने नज़रिए में विस्तार करने में मदद मिलेगी।

