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Ek Samayheen Maahoul Mein Samay- Bankar Me Jeevan
Ek Samayheen Maahoul Mein Samay- Bankar Me Jeevan
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Publisher: Eklavya
Author: L Geeta
Translator: Tultul Biswas
ISBN: 978-81-19771-00-4
Binding: Paperback
Language: Hindi
Pages: 31
Published: Oct-2024
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एक बंकर, जहाँ क्या दिन, क्या रात, कुछ खबर नहीं। समय बताती कोई घड़ी नहीं। ऐसे में, एक प्रयोगकर्ता का समय कैसे बीतता होगा भला? कलाई या दीवार वाली ना सही, उसकी जैविक घड़ी तो कुछ इशारा करती होगी? क्या ऐसे समयहीन माहौल में रहने पर, उसके सोने-जागने के चक्र और माहवारी चक्र के बीच के सम्बन्ध पर कोई असर पड़ेगा? क्या लक्ष्य और निहितार्थ होंगे ऐसे विचित्र प्रयोग के? यह सब साझा करती हैं एल गीता, ऐसे ही एक बंकर में रहने के अपने अनुभवों पर आधारित लेख में।
यह किताब होविशिका के 50 साल और एकलव्य के 40 साल पूरे होने के मौके पर ज्ञान-विज्ञा

