Khat
Khat
3 reviews
Publisher: Eklavya
Author: Sumit Patil and Rupali Barge
Translator: Madhav kelkar
Illustrator: Sumit Patil and Rupali Barge
ISBN: 978-93-85236-29-7
Binding: Paperback
Language: Hindi
Pages: 24
Published: 2017
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एक खत की यात्रा के ज़रिये तमाम खतों के सफर की दास्तां बयां करती एक किताब।
M
Madhuri Kumari कोई खत हम तक कैसे पहुँचता है, हमने तो कभी सोचा ही नहीं। चलों चलते हैं यात्रा पर एक खत के साथ।
K
Kumud Wadhwani प्यारा सा ख़त प्यारा सा संदेश और प्यारी सी किताब ।
S
Simran uikey यह कहानी अपूर्वा की है, अपूर्वा के दादाजी का जन्मदिन है। लेकिन अपूर्वा अपने दादाजी के पास कैसे जाए।इसीलिए अपूर्वा अपने दादाजी को बधाई देते हुए एक खत लिखती है। खत में बहुत सारा प्यार और जन्मदिन की शुभकामनाएं भेजती है।अपूर्वा का खत छोटा होता है। और खत को थोड़ा डर भी लगता है ।पहली बार वह दूसरे शहर जा रहा होता है जब अपूर्वा का खत दादा जी को मिलता है तब दादा जी भी बहुत खुश होते हैं और खत को भी अपूर्वा के दादाजी से मिलकर अच्छा लगता है।