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Vigyan, Samaj Aur Shiksha

Vigyan, Samaj Aur Shiksha

कुदरत के सच और समाज
Publisher: Eklavya
Author: Yash Pal
ISBN: 978-81-19771-51-6
Binding: Paperback
Language: Hindi
Pages: 53
Published: Oct-2024
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टेपरिकॉर्डर में रिकॉर्ड की गई अपनी आवाज़ भला अपनी क्यों नहीं लगती? कानों से लगाने पर शंख में से समुद्र की आवाज़ क्यों सुनाई देती है? काँच की रंगीन चूड़ियों का चूरा सफेद क्यों? रोज़मर्रा की ज़िन्दगी से उपजे ऐसे जिज्ञासु सवाल स्कूली शिक्षा में जगह क्यों नहीं पाते? इस किताब में प्रकाशित अपने व्याख्यानों में, यश पाल ज़िन्दगी के विज्ञान और स्कूली विज्ञान के बीच खड़ी आधारहीन दीवार पर सवाल खड़े करते हैं। सवाल खड़े करते हैं ऐसे शिक्षण पर भी, जो इस दीवार को भेदने के लिए नवाचारों को प्रोत्साहित नहीं करता।

यह किताब होविशिका के 50 साल और एकलव्य के 40 साल पूरे होने के मौके पर ज्ञान-विज्ञान के अलग- अलग क्षेत्रों से जुड़ी किताबों की श्रृंखला में एक कड़ी के रूप में प्रकाशित की जा रही है।

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