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Machher Jhol

Machher Jhol

माछेर झोल
Publisher: Eklavya
Author: Richa Jha
Translator: Bharat Tripathi
Illustrator: Sumanta Dey
ISBN: 978-93-85236-97-6
Binding: Paperback
Language: Hindi
Pages: 40
Published: Aug 2019
Regular price ₹ 85.00
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Language

हिन्दी

कोलकाता की व्यस्त सड़कों पर चले जा रहे गोपू के साथ वहां की चहल पहल, धक्का मुक्की, शोरगुल को सुनिए और महसूस करिए| पर वो जा कहाँ रहा है ? और वो अकेला क्यों है ?

मराठी

बाबाचं कपाळ तापानं फणफणलं होतं.
“आज तिसरा दिवस आहे,” असं खोकत खोकत तो म्हणाला आणि तापाच्या गुंगीत झोपी गेला.
आपल्याला गुपचूप बाहेर पडण्याची हीच संधी आहे, हे गोपूच्या लक्षात आलं.
कोलकात्याच्या गर्दीच्या रस्त्यांवरून जातांना गोपूला पावलांचे आवाज ऐकू येतात, धक्काबुक्की होते आणि गर्दीचा गोंधळ जाणवतो.
गोपू कुठे जातोय? तो एकटाच का जातोय?

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S
Simran uikey
मिर्च मसाला से बना माछोर झोल

यह कहानी गोपू की है, जो अपने बीमार बाबा के लिऐ माछोर झोल बनना चाहता है। लेकिन कैसे ? गोपू आंखो से देख नही सकता। अब कैसे जायेगा वो बाजार?
गोपू बाबा के साथ कई बार बाजार गया है, आखों से देखकर नही कानो से सून कर उसे रास्तों की आवाज़ सुनाई देती है, और वो जिस रास्ते से गुजरता है, वो दुकान और जगह सब पहचान लेता है। क्या वो मछोर झोल बना पाता है?

K
Kumud Wadhwani
Book review

ऋचा झा बहुत अच्छी लेखिका हैं उनकी हर किताब बहुत अच्छी लगी है । चित्रण बहुत सुंदर है ।