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Shiksha Ka Vahan : Kala (Hindi)

Shiksha Ka Vahan : Kala (Hindi)

Publisher: National Book Trust (NBT)
Author: Devi Prasad
ISBN: 978-81-237-2899-5
Binding: Paperback
Language: Hindi
Pages: 138
Published: 2023
Regular price ₹ 140.00
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सेवाग्राम की आनंद-निकेतन-शाला के कला विशेषज्ञ के रूप में कार्य करते हुए लेखक को बालकों के साथ हुए अनुभवों के आधार पर इस पुस्तक को तैयार किया गया है। यह पुस्तक शिक्षा के आधारभूत ढाँचे के रूप में कला की आवश्यकता को दर्शाती है। कला बालक के संपूर्ण विकास के लिए आवश्यक है। कला-शिक्षा के पीछे व्यक्ति के चरित्र, उसके सामाजिक बोध और सौंदर्य बोध का विकास करने का उद्देश्य होता है। कला की बुनियाद बच्चों में बचपन से ही डालनी चाहिए क्योंकि बालयावस्था में जो कला-बोध मन में पैठ जाता है, वही विकसित होकर सारे जीवन को कलामय बनाने का हौसला रखता है। बच्चों में शिक्षा की बुनियाद डालने के लिए शिक्षक और माता-पिता की अहम भूमिका है। यह पुस्तक शिक्षक और माता-पिता दोनों को बच्चों को समझने, बाल्यावस्था और किशोर-अवस्था के भेद को समझने, शिरवस्या को कठिनाइयों को जानने-समझने का रास्ता दिखाने में सहायक होगी।

शिक्षाविद् एवं कलाविद् देवीप्रसाद ने रवीन्द्रनाथ यार के स्कूल शान्तिनिकेतन से स्नातक की उपाधि ली। इस अहिंसावादी कार्य ने चार रेसिस्टर्स इंटरनेशनल, लंदन में पहले महासचिव के रूप में अपना योगदान दिया और बाद में अध्यक्ष का पद संभाला। विश्वभारती समेत इन्होंने अनेक विश्वविद्यालयों में अध्यापन कार्य किया। काफी भ्रमणशील रहनेवाले देवीप्रसाद की अग्रेजी में प्रकाशित महत्वपूर्ण कृतियों है- ग्रामदान। द लैंड रिवोल्यूशन ऑफ इंडिया दे लत्र इट बट लीव इट-अमेरिकन डेसर्ट्सः पीस एजुकेशन और एजुकेशन फॉर पीस। हिंदी में इनके प्रकाशन है- रवीन्द्रनाथ टैगोर शिक्षा और चित्रकला तथा बच्चों की कला और शिक्षा'। इसके अलावा कई वर्षों तक ये नई तालीम पत्रिका के संपादक भी रहे।

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