Sushil Shukla ki Kavitaon ke Alag-Alag Rang...
Sushil Shukla ki Kavitaon ke Alag-Alag Rang...
Publisher: Eklavya
Author: Sushil Shukla
Illustrator: Various
Binding: Paperback
Language: Hindi
Published: Jan-2024
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सुशील शुक्ल की कविताओं के अलग-अलग रंग लिए 13 किताबें
1 जंगल मैं एक रात
2 टिफिन दोस्त
3 फेरीवाले
4 रफू की जलेबी
5 चिकनिक चून (बोर्ड बुक)
6 मछली नदी खोल के बैठी
7 नीम तेरी निम्बोली पीली
8 आम के सूखे पेड़ पर
9 ओ पेड रंगरेज़ (पीबी)
10 आदा पादा
11 पानी धार-धार बरसे
12 ये सारा उजाला सूरज का
13 आम के सिर पे
मां के हाथों का खाना बन जाता है हम दोस्तों का याद पुराना। स्कूल का टिफिन नहीं है हमारा हम दोस्तों का प्यार है इस डिब्बे में बहुत सारा।
मछली जल की रानी है
अब यह बात पुरानी है
इसकी पहली लाइन गुज़रा हुआ ज़माना है। और दूसरी आज का दौर। यह कितनी सरल सी बात थी। पर सालों साल किसी को नहीं बूझी। कबीले गए। राजतंत्र गया। सामंतवाद गया। कि अब तो लोकतंत्र भी जाने जाने को है। दुनिया बदलती रही। पर लिखने वाले नहीं बदले। ज़्यादातर पहली लाइन की लीक पर ही चलते रहे।
क्या बदलना चाहिए था? कैसे बदलना चाहिए था? इसकी कुछ झलक पराग में मिली। कुछ चकमक, साइकिल और प्लूटो आदि में मिलती है।
और सुशील शुक्ल की रचनाओं में भी मिलती है। सुशील शुक्ल की रचनाएँ पढेंगे तो इसका रेशा रेशा पता चलेगा। यहाँ अर्ली रीडर्स के लिये लिखी रचनाओं की परास भी खाँटी रीडर्स तक जाती है। उनमें भाषा, कथ्य और कहन का ऐसा बेजोड़ सम्मिलन मिलता है कि वह सबके लिये हो जाती है। मुकम्मल साहित्यिक रचना।
हम बार बार कहते रहे हैं कि “बच्चे ही तो हैं” मानकर लिखा गया कुछ भी नहीं चलेगा। उनसे बराबरी, गरिमा और बुध्दिमता से पेश आइये। उनको सिखाने की कोशिश मत कीजिये। बात कीजिये उनसे। वे वयस्कों से उम्र और अनुभव में छोटे हैं। पर कल्पनाशीलता के मामले में बहुत बड़े हैं।
एकलव्य ने सुशील की 13 किताबें प्रकाशित की हैं। उनको पढ़ना और गुनना बाल साहित्य की पढाई का प्रस्थान बिन्दु हो सकता है।